उलूक टाइम्स

"बर्बाद गुलिस्ताँ करने को बस एक ही उल्लू काफ़ी था हर शाख़ पे उल्लू बैठा है अंजाम-ए-गुलिस्ताँ क्या होगा " :- शौक़ बहराइची

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सोमवार, 4 जून 2018

इसकी उसकी पूजा करने के दिन लद गये ‘उलूक’ कुछ दिन अपनी अब करवाले मंदिर संदिर हो सके कहीं तो आज और अभी दो चार छोटे बड़े बनवाले

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बहुत दिन हो गये चुपचाप बैठे चलिये बैठे ठाले के जमा किये का कुछ बाहर निकालें कथा करा लें ठीक नहीं होता है देखा भाला सुना समझा सम्भाल लेना ...
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सुशील कुमार जोशी
Almora, Uttarakhand, India
ना कविता लिखता हूँ ना कोई छंद लिखता हूँ अपने आसपास पड़े हुऎ कुछ टाट पै पैबंद लिखता हूँ ना कवि हूँ ना लेखक हूँ ना अखबार हूँ ना ही कोई समाचार हूँ जो हो घट रहा होता है मेरे आस पास हर समय उस खबर की बक बक यहाँ पर देने को तैयार हूँ ।
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