उलूक टाइम्स

"बर्बाद गुलिस्ताँ करने को बस एक ही उल्लू काफ़ी था हर शाख़ पे उल्लू बैठा है अंजाम-ए-गुलिस्ताँ क्या होगा " :- शौक़ बहराइची

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बुधवार, 30 अक्टूबर 2013

विनम्र श्रद्धांजलि राजेंद्र जी

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एक सदी के अंदर एक ज्यादा से ज्यादा दो बहुत हो गया तो तीन से ज्यादा को कभी भी नहीं गिना जाता है राजेंद्र यादव हिंदी साहित्य का एक ऐसा ही स्त...
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सुशील कुमार जोशी
Almora, Uttarakhand, India
ना कविता लिखता हूँ ना कोई छंद लिखता हूँ अपने आसपास पड़े हुऎ कुछ टाट पै पैबंद लिखता हूँ ना कवि हूँ ना लेखक हूँ ना अखबार हूँ ना ही कोई समाचार हूँ जो हो घट रहा होता है मेरे आस पास हर समय उस खबर की बक बक यहाँ पर देने को तैयार हूँ ।
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