उलूक टाइम्स

"बर्बाद गुलिस्ताँ करने को बस एक ही उल्लू काफ़ी था हर शाख़ पे उल्लू बैठा है अंजाम-ए-गुलिस्ताँ क्या होगा " :- शौक़ बहराइची

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सोमवार, 29 मई 2017

बहुत तेजी से बदल रहा है इसलिये कहीं नहीं मिल रहा है

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सुना है बहुत कुछ बहुत तेजी से बदल रहा है पुराना कुछ भी कहीं भी नहीं चल रहा है जितना भी है जो कुछ भी है सभी कुछ खुद बा खुद नया नया निकल रह...
1 टिप्पणी:
शुक्रवार, 21 फ़रवरी 2014

समझदार लोग़ मील के पत्थरों को हटाते हुऐ ही आगे जाते हैं

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छोटी छोटी दूरियों तक साथ चले कुछ लोग कभी एक लम्बे समय के बाद फिर कभी दुबारा भी नजर आ जाते हैं बहुत कुछ बदल चुका होता है उनका अन्दाज उनकी च...
9 टिप्‍पणियां:
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सुशील कुमार जोशी
Almora, Uttarakhand, India
ना कविता लिखता हूँ ना कोई छंद लिखता हूँ अपने आसपास पड़े हुऎ कुछ टाट पै पैबंद लिखता हूँ ना कवि हूँ ना लेखक हूँ ना अखबार हूँ ना ही कोई समाचार हूँ जो हो घट रहा होता है मेरे आस पास हर समय उस खबर की बक बक यहाँ पर देने को तैयार हूँ ।
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