उलूक टाइम्स

"बर्बाद गुलिस्ताँ करने को बस एक ही उल्लू काफ़ी था हर शाख़ पे उल्लू बैठा है अंजाम-ए-गुलिस्ताँ क्या होगा " :- शौक़ बहराइची

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गुरुवार, 20 सितंबर 2018

चूहों से बचाने के लिये बहुत कुछ को थोड़े कुछ को कुछ चूहों पर दाँव पर लगाना ही होता है

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होता है निगाहें कहीं और को लगी होती हैं और निशाना कहीं और को लगा होता है इस सब के लिये आँखों का सेढ़ा होना जरूरी नहीं होता है ये भी होता ...
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गुरुवार, 15 मार्च 2012

अपना कल याद नहीं

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वो कल नंगा हो गया था आज उसे कुछ याद नहीं हंस रहा है आज सुबह से सामने खड़े हुवे नंगो को देख देख कर बिना कपड़ों के भूखे की रोटी छीन कर खाने म...
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सुशील कुमार जोशी
Almora, Uttarakhand, India
ना कविता लिखता हूँ ना कोई छंद लिखता हूँ अपने आसपास पड़े हुऎ कुछ टाट पै पैबंद लिखता हूँ ना कवि हूँ ना लेखक हूँ ना अखबार हूँ ना ही कोई समाचार हूँ जो हो घट रहा होता है मेरे आस पास हर समय उस खबर की बक बक यहाँ पर देने को तैयार हूँ ।
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