उलूक टाइम्स

"बर्बाद गुलिस्ताँ करने को बस एक ही उल्लू काफ़ी था हर शाख़ पे उल्लू बैठा है अंजाम-ए-गुलिस्ताँ क्या होगा " :- शौक़ बहराइची

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रविवार, 24 मई 2015

लिखते लिखते लिखने वाले की बीमारी पर भी लिख

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दवा पर लिख कुछ कभी दारू पर लिख दर्द पर लिख रही है सारी दुनियाँ तू भी लिख कोई नहीं रोक रहा है पर कहीं कुछ कभी कँगारू पर लिख चाँद पर लिख कु...
16 टिप्‍पणियां:
मंगलवार, 24 दिसंबर 2013

पानी से अच्छा होता अगर दारू पर कुछ लिखवाता

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हर कोई तो पानी  पर लिख रहा है अभी अभी का  लिखा हुआ पानी पर अभी का अभी उसी  समय जब मिट रहा है तुझे ही पड़ी है  ना जाने क्यों कहता जा रहा है  प...
9 टिप्‍पणियां:
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सुशील कुमार जोशी
Almora, Uttarakhand, India
ना कविता लिखता हूँ ना कोई छंद लिखता हूँ अपने आसपास पड़े हुऎ कुछ टाट पै पैबंद लिखता हूँ ना कवि हूँ ना लेखक हूँ ना अखबार हूँ ना ही कोई समाचार हूँ जो हो घट रहा होता है मेरे आस पास हर समय उस खबर की बक बक यहाँ पर देने को तैयार हूँ ।
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