उलूक टाइम्स

"बर्बाद गुलिस्ताँ करने को बस एक ही उल्लू काफ़ी था हर शाख़ पे उल्लू बैठा है अंजाम-ए-गुलिस्ताँ क्या होगा " :- शौक़ बहराइची

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गुरुवार, 11 फ़रवरी 2016

अंदर कुछ और और लिखा हुआ कुछ और ही होता है

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सोच कर  लिखना  और  लिख कर  लिखे पर  सोचना  कुछ  एक  जैसा ही  तो  होता है  पढ़ने वाले  को तो बस  अपने  ल...
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सोमवार, 25 मई 2015

‘दैनिक हिन्दुस्तान’ सबसे पुरानी दोस्ती की खोज कर के लाता है ऐसा जैसा ही उसपर कुछ लिखा जाता है

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सुबह कुछ लिखना चाहो मजा नहीं आता है रात को वैसे भी कुछ नहीं होता है कहीं सपना भी कभी कभी कोई भूला भटका सा आ जाता है शाम होते होते पूरा दि...
11 टिप्‍पणियां:
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सुशील कुमार जोशी
Almora, Uttarakhand, India
ना कविता लिखता हूँ ना कोई छंद लिखता हूँ अपने आसपास पड़े हुऎ कुछ टाट पै पैबंद लिखता हूँ ना कवि हूँ ना लेखक हूँ ना अखबार हूँ ना ही कोई समाचार हूँ जो हो घट रहा होता है मेरे आस पास हर समय उस खबर की बक बक यहाँ पर देने को तैयार हूँ ।
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