उलूक टाइम्स

"बर्बाद गुलिस्ताँ करने को बस एक ही उल्लू काफ़ी था हर शाख़ पे उल्लू बैठा है अंजाम-ए-गुलिस्ताँ क्या होगा " :- शौक़ बहराइची

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शुक्रवार, 3 अप्रैल 2015

कोई समझे कोई ना समझे कह देना जरूरी होता है

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जो भी हो रहा होता है सब अच्छे के लिये ही हो रहा होता है फैशन बन चुका है अब ऐसा ही कुछ बस कह देना होता है अगर कोई रो रहा होता है बस आदतन...
4 टिप्‍पणियां:
सोमवार, 13 फ़रवरी 2012

खरीददार

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रद्दी बेच डाल लोहा लक्कड़ बेच डाल शीशी बोतल बेच डाल  पुराना कपड़ा निकाल नये बर्तन में बदल डाल बैंक से उधार निकाल जो जरूरत नहीं उसे ही खरीद ...
1 टिप्पणी:
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सुशील कुमार जोशी
Almora, Uttarakhand, India
ना कविता लिखता हूँ ना कोई छंद लिखता हूँ अपने आसपास पड़े हुऎ कुछ टाट पै पैबंद लिखता हूँ ना कवि हूँ ना लेखक हूँ ना अखबार हूँ ना ही कोई समाचार हूँ जो हो घट रहा होता है मेरे आस पास हर समय उस खबर की बक बक यहाँ पर देने को तैयार हूँ ।
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