उलूक टाइम्स

"बर्बाद गुलिस्ताँ करने को बस एक ही उल्लू काफ़ी था हर शाख़ पे उल्लू बैठा है अंजाम-ए-गुलिस्ताँ क्या होगा " :- शौक़ बहराइची

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रविवार, 31 मार्च 2024

ईश्वर है है ईश्वर मंदिर मूरत छोड़ कर आज वो एक नश्वर हो गया है

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सारी किताबें खुली हुई हैं स्वयं बताएं खुद अपना पन्ने को पन्ने शक्कर देख रही कहीं दूर से लड़ते सूखे सारे गन्नों से गन्ने सच है सारा पसर गया ह...
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सुशील कुमार जोशी
Almora, Uttarakhand, India
ना कविता लिखता हूँ ना कोई छंद लिखता हूँ अपने आसपास पड़े हुऎ कुछ टाट पै पैबंद लिखता हूँ ना कवि हूँ ना लेखक हूँ ना अखबार हूँ ना ही कोई समाचार हूँ जो हो घट रहा होता है मेरे आस पास हर समय उस खबर की बक बक यहाँ पर देने को तैयार हूँ ।
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