उलूक टाइम्स

"बर्बाद गुलिस्ताँ करने को बस एक ही उल्लू काफ़ी था हर शाख़ पे उल्लू बैठा है अंजाम-ए-गुलिस्ताँ क्या होगा " :- शौक़ बहराइची

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सोमवार, 6 मार्च 2017

सुना है फिर से आ गयी है होली

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चल बटोरें रंग बिखरे हुऐ इधर उधर यहाँ वहाँ छोड़ कर आ रहा है आदमी आज ना जाने सब कहाँ कहाँ सुना है फिर से आ गयी है होली बदलना शुरु हो गया है...
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बुधवार, 6 जून 2012

आँख आँख

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घर में आँख से आँख मिलाता है खाली बिना बात के पंगा हो जाता है चेहरा फिर भाव हीन हो जाता है बाहर आँख वाला सामने आता है कन्नी काट कर किनारे क...
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सुशील कुमार जोशी
Almora, Uttarakhand, India
ना कविता लिखता हूँ ना कोई छंद लिखता हूँ अपने आसपास पड़े हुऎ कुछ टाट पै पैबंद लिखता हूँ ना कवि हूँ ना लेखक हूँ ना अखबार हूँ ना ही कोई समाचार हूँ जो हो घट रहा होता है मेरे आस पास हर समय उस खबर की बक बक यहाँ पर देने को तैयार हूँ ।
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