उलूक टाइम्स

"बर्बाद गुलिस्ताँ करने को बस एक ही उल्लू काफ़ी था हर शाख़ पे उल्लू बैठा है अंजाम-ए-गुलिस्ताँ क्या होगा " :- शौक़ बहराइची

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रविवार, 6 सितंबर 2020

कभी यूँ ही कुछ भी लिख दिया भी जरूरी है सामने रखना अपने ही आइने के : मुआफ़ी के साथ कि कूड़ेदान का ढक्कन बंद रखना चाहिये लेखकों ने अपने घर का

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  सारे मोहरे शतरंज के चौसठ खानों से बाहर निकल कर सड़क पर आ गये हैं  और एक हम हैं खुद ही कभी एक घर चल रहे हैं और कभी ढाई घर फादने के लिये उँट ...
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सुशील कुमार जोशी
Almora, Uttarakhand, India
ना कविता लिखता हूँ ना कोई छंद लिखता हूँ अपने आसपास पड़े हुऎ कुछ टाट पै पैबंद लिखता हूँ ना कवि हूँ ना लेखक हूँ ना अखबार हूँ ना ही कोई समाचार हूँ जो हो घट रहा होता है मेरे आस पास हर समय उस खबर की बक बक यहाँ पर देने को तैयार हूँ ।
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