उलूक टाइम्स

"बर्बाद गुलिस्ताँ करने को बस एक ही उल्लू काफ़ी था हर शाख़ पे उल्लू बैठा है अंजाम-ए-गुलिस्ताँ क्या होगा " :- शौक़ बहराइची

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गुरुवार, 3 अक्टूबर 2013

जरूरी नहीं सब सबकुछ समझ ले जायें

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विचारधाराऐं  नदी के दो किनारों की धाराऐं  किसी एक को अपनायें  सोचें कुछ नहीं बस आत्मसात करें और फैलायें  लोगों को अनुयायी बनायें  सबको बताये...
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शनिवार, 27 जुलाई 2013

लिखने से कोई विद्वान नहीं होता है

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सम्पादक जी को देखते ही  साथ में किसी जगह कहीं  मित्र से रहा नहीं गया  कह बैठे यूँ ही भाई जी ये भी लिख रहे हैं  कुछ कुछ आजक...
13 टिप्‍पणियां:
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सुशील कुमार जोशी
Almora, Uttarakhand, India
ना कविता लिखता हूँ ना कोई छंद लिखता हूँ अपने आसपास पड़े हुऎ कुछ टाट पै पैबंद लिखता हूँ ना कवि हूँ ना लेखक हूँ ना अखबार हूँ ना ही कोई समाचार हूँ जो हो घट रहा होता है मेरे आस पास हर समय उस खबर की बक बक यहाँ पर देने को तैयार हूँ ।
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