उलूक टाइम्स

"बर्बाद गुलिस्ताँ करने को बस एक ही उल्लू काफ़ी था हर शाख़ पे उल्लू बैठा है अंजाम-ए-गुलिस्ताँ क्या होगा " :- शौक़ बहराइची

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शुक्रवार, 27 दिसंबर 2013

उसके जैसा ही क्यों नहीं सोचता शायद बहुत कुछ बचता

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हर आदमी सोच नहीं रहा अगर तेरी तरह तो सोचता क्यों नहीं जरुर ही कहीं खोट होगा तेरी ही सोच में सोचने की कोशिश तो करके देख जरा सा सुना है कोशिश...
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शनिवार, 21 सितंबर 2013

सजाये मौत पहले बहस मौत के बाद !

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अलग अलग जगहें अलग अलग आदमी कई किताबों में कई जगह लिखी हुई कुछ इबारतें समय के साथ बदलते हुऐ उनके मायने मरती हुई एक लड़की कोख में सड़क में स...
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सुशील कुमार जोशी
Almora, Uttarakhand, India
ना कविता लिखता हूँ ना कोई छंद लिखता हूँ अपने आसपास पड़े हुऎ कुछ टाट पै पैबंद लिखता हूँ ना कवि हूँ ना लेखक हूँ ना अखबार हूँ ना ही कोई समाचार हूँ जो हो घट रहा होता है मेरे आस पास हर समय उस खबर की बक बक यहाँ पर देने को तैयार हूँ ।
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