उलूक टाइम्स

"बर्बाद गुलिस्ताँ करने को बस एक ही उल्लू काफ़ी था हर शाख़ पे उल्लू बैठा है अंजाम-ए-गुलिस्ताँ क्या होगा " :- शौक़ बहराइची

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रविवार, 22 जनवरी 2012

नेता और हैलीकौप्टर

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पहाड़ी गांव में स्कूल हस्पताल अब रहने दो मत ही बनाओ टीचर डाक्टर कुछ वहां जो मजबूरी में आ ही जाते थे तैनाती उनकी भी अब मत करवाओ छोटी मोटी जर...
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बुधवार, 30 नवंबर 2011

याद आया किसी को पहाड़

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चढ़ने के लिये जरूरी हैं देश विदेश के पर्वतारोहियों के लिये एक मजबूरी कभी नहीं हुवे पहाड़ । उतरना कभी जरूरी नहीं हुवा करता पर अब मजबूरी बन ग...
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सुशील कुमार जोशी
Almora, Uttarakhand, India
ना कविता लिखता हूँ ना कोई छंद लिखता हूँ अपने आसपास पड़े हुऎ कुछ टाट पै पैबंद लिखता हूँ ना कवि हूँ ना लेखक हूँ ना अखबार हूँ ना ही कोई समाचार हूँ जो हो घट रहा होता है मेरे आस पास हर समय उस खबर की बक बक यहाँ पर देने को तैयार हूँ ।
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