उलूक टाइम्स

"बर्बाद गुलिस्ताँ करने को बस एक ही उल्लू काफ़ी था हर शाख़ पे उल्लू बैठा है अंजाम-ए-गुलिस्ताँ क्या होगा " :- शौक़ बहराइची

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बुधवार, 14 सितंबर 2016

शब्द दिन और शब्द अच्छे जब एक साथ प्रयोग किये जा रहे होते हैं

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कुछ शब्द कभी भी खराब गन्दे अजीब से या गालियाँ नहीं होते हैं पढ़े लिखे विद्वतजन अनपढ़ अज्ञानी सभी समझते हैंं अर्थ उनके करते हैं प्रयोग बनाते...
1 टिप्पणी:
गुरुवार, 22 मार्च 2012

चेहरे

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चेहरे दर चेहरे कुछ लाल होते हैं कुछ होते हैं हरे कुछ बदलते हैं  मौसम के साथ बारिश में  होते हैं गीले धूप में हो  जाते...
5 टिप्‍पणियां:
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सुशील कुमार जोशी
Almora, Uttarakhand, India
ना कविता लिखता हूँ ना कोई छंद लिखता हूँ अपने आसपास पड़े हुऎ कुछ टाट पै पैबंद लिखता हूँ ना कवि हूँ ना लेखक हूँ ना अखबार हूँ ना ही कोई समाचार हूँ जो हो घट रहा होता है मेरे आस पास हर समय उस खबर की बक बक यहाँ पर देने को तैयार हूँ ।
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