उलूक टाइम्स

"बर्बाद गुलिस्ताँ करने को बस एक ही उल्लू काफ़ी था हर शाख़ पे उल्लू बैठा है अंजाम-ए-गुलिस्ताँ क्या होगा " :- शौक़ बहराइची

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मंगलवार, 10 नवंबर 2015

ग्यारहवें महीने में भेड़ों के भीड़तंत्र की ग्यारह सौ ग्यारहवीं ‘नाककथा’

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बाध की कथा राग बेराग की कथा साग की कथा बहुत कुछ सुना सुनाया लगता है नाक की कथा नाककथा कोई नये जमाने का नाटक किसी नौटंकी का नचाया लगता है ...
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सोमवार, 21 जनवरी 2013

राम नहीं खोल सकता कोई वैंडर तेरे नाम का टेंडर

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सोच रहा था कल से इस पर कुछ भी नहीं लिखना विखना चाहिये करने वाले को कौन सा इसे पढ़ ही लेना है मुझे भी बस चुप ही रहना चाहिये पर मिर्ची खाने प...
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सुशील कुमार जोशी
Almora, Uttarakhand, India
ना कविता लिखता हूँ ना कोई छंद लिखता हूँ अपने आसपास पड़े हुऎ कुछ टाट पै पैबंद लिखता हूँ ना कवि हूँ ना लेखक हूँ ना अखबार हूँ ना ही कोई समाचार हूँ जो हो घट रहा होता है मेरे आस पास हर समय उस खबर की बक बक यहाँ पर देने को तैयार हूँ ।
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