उलूक टाइम्स

"बर्बाद गुलिस्ताँ करने को बस एक ही उल्लू काफ़ी था हर शाख़ पे उल्लू बैठा है अंजाम-ए-गुलिस्ताँ क्या होगा " :- शौक़ बहराइची

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शुक्रवार, 22 जुलाई 2016

सारे नंगे लिख रहे होते हैं कपड़े जहाँ वहाँ चिंता की बात नहीं होती है नंगा हो जाना / बस हर तरफ कपड़े कपड़े हो जाने का इंतजार होना जरूरी होता है

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मेरे घर से शुरु होता है शहर की गली दर गली से गुजरते हुए दफ्तर दुकान और दूसरे के मकान तक पहुँच रहा होता है हर नंगे के हाथ में होता है एक क...
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सुशील कुमार जोशी
Almora, Uttarakhand, India
ना कविता लिखता हूँ ना कोई छंद लिखता हूँ अपने आसपास पड़े हुऎ कुछ टाट पै पैबंद लिखता हूँ ना कवि हूँ ना लेखक हूँ ना अखबार हूँ ना ही कोई समाचार हूँ जो हो घट रहा होता है मेरे आस पास हर समय उस खबर की बक बक यहाँ पर देने को तैयार हूँ ।
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