उलूक टाइम्स

"बर्बाद गुलिस्ताँ करने को बस एक ही उल्लू काफ़ी था हर शाख़ पे उल्लू बैठा है अंजाम-ए-गुलिस्ताँ क्या होगा " :- शौक़ बहराइची

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मंगलवार, 28 अक्टूबर 2014

आये आये देर से भी आये तो भी दुरुस्त ही आये आये तो सही चाहे कुछ भी ना कह जाये

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अभी भी देर नहीं हुई  देर कभी भी नहीं होती  जब भी समझ में आ जाये तभी सुबह हो जाये  पर रुका कहाँ कहाँ जाये  किसके लिये रुका जाये  कहाँ जरूरी ...
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सुशील कुमार जोशी
Almora, Uttarakhand, India
ना कविता लिखता हूँ ना कोई छंद लिखता हूँ अपने आसपास पड़े हुऎ कुछ टाट पै पैबंद लिखता हूँ ना कवि हूँ ना लेखक हूँ ना अखबार हूँ ना ही कोई समाचार हूँ जो हो घट रहा होता है मेरे आस पास हर समय उस खबर की बक बक यहाँ पर देने को तैयार हूँ ।
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