उलूक टाइम्स

"बर्बाद गुलिस्ताँ करने को बस एक ही उल्लू काफ़ी था हर शाख़ पे उल्लू बैठा है अंजाम-ए-गुलिस्ताँ क्या होगा " :- शौक़ बहराइची

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शनिवार, 21 नवंबर 2015

कौन कहता है कुत्ता सोचना और कुत्ता हो जाने में कुछ अजीब होता है हर कुत्ते का अपना नसीब होता है

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भौंकना सीखना चाहता हूँ इसलिये कुत्तों के बीच रहता हूँ कुत्ता नहीं हूँ कुत्तों से कभी नहीं कहता हूँ कुत्ते भी कहाँ मुझे एक कुत्ता मानते हैं भ...
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गुरुवार, 29 दिसंबर 2011

भीड़

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भीड़ को पढा़ते पढ़ाते अब वो भीड़ बनाना अच्छा सीख गया है भीड़ पहले कभी भी उसका पेशा नहीं रही भीड़ से निपटने में अचानक उसे लगा भीड़ बहुत क...
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सुशील कुमार जोशी
Almora, Uttarakhand, India
ना कविता लिखता हूँ ना कोई छंद लिखता हूँ अपने आसपास पड़े हुऎ कुछ टाट पै पैबंद लिखता हूँ ना कवि हूँ ना लेखक हूँ ना अखबार हूँ ना ही कोई समाचार हूँ जो हो घट रहा होता है मेरे आस पास हर समय उस खबर की बक बक यहाँ पर देने को तैयार हूँ ।
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