उलूक टाइम्स

"बर्बाद गुलिस्ताँ करने को बस एक ही उल्लू काफ़ी था हर शाख़ पे उल्लू बैठा है अंजाम-ए-गुलिस्ताँ क्या होगा " :- शौक़ बहराइची

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गुरुवार, 7 जून 2012

आपदा फिर से आना

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भीषण हुवी थी उस बार बरसात आपदा थी दूर कहीं एक गाँव था एक स्कूल था दर्जन भर बच्चे थे मौत थी वीरानी थी कुल जमा दो साल पहले की ये बात थी सभी ...
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रविवार, 27 मई 2012

एहसानमंद

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एक बूढ़ा और उसकी बुढ़िया के एहसानो के तले मैंने जब अपने को गले गले तक दबा हुआ पाया कुछ तो करना ही चाहिये उनके लिये मेरे मन में विचार एक आया ...
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सुशील कुमार जोशी
Almora, Uttarakhand, India
ना कविता लिखता हूँ ना कोई छंद लिखता हूँ अपने आसपास पड़े हुऎ कुछ टाट पै पैबंद लिखता हूँ ना कवि हूँ ना लेखक हूँ ना अखबार हूँ ना ही कोई समाचार हूँ जो हो घट रहा होता है मेरे आस पास हर समय उस खबर की बक बक यहाँ पर देने को तैयार हूँ ।
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