उलूक टाइम्स

"बर्बाद गुलिस्ताँ करने को बस एक ही उल्लू काफ़ी था हर शाख़ पे उल्लू बैठा है अंजाम-ए-गुलिस्ताँ क्या होगा " :- शौक़ बहराइची

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शुक्रवार, 5 सितंबर 2014

एक दिन शिक्षक होने का अहसास कुछ सवाल और कुछ जवाब हो जाते हैं

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तीन सौ पैंसठ दिनों में वैसे देखें तो गिनती से ज्यादा दिन भी हो जाते हैं हर नये दिन सूरज उगने के साथ दिन को एक नाम देने के बहाने कई मिल जा...
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सुशील कुमार जोशी
Almora, Uttarakhand, India
ना कविता लिखता हूँ ना कोई छंद लिखता हूँ अपने आसपास पड़े हुऎ कुछ टाट पै पैबंद लिखता हूँ ना कवि हूँ ना लेखक हूँ ना अखबार हूँ ना ही कोई समाचार हूँ जो हो घट रहा होता है मेरे आस पास हर समय उस खबर की बक बक यहाँ पर देने को तैयार हूँ ।
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