उलूक टाइम्स

"बर्बाद गुलिस्ताँ करने को बस एक ही उल्लू काफ़ी था हर शाख़ पे उल्लू बैठा है अंजाम-ए-गुलिस्ताँ क्या होगा " :- शौक़ बहराइची

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मंगलवार, 2 मई 2023

बस यूँ ही

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रोज खुलती हैं खिड़कियाँ कुछ हवा होती है कुछ धूल होती है झिर्रियों से झांकती है जिंदगी सांस होती है फिजूल होती है लिखना भूल जाने का मतलब लिखना...
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शुक्रवार, 13 सितंबर 2019

कुछ भी लिख और सोच ले इसी लिखे से शेयर बाजार चढ़ रहा है

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ना तो तू शेर है ना ही हाथी है  फिर किस लिये इच्छा करता है दहाड़ने की और चिंघाड़ने की  तेरी मर्जी कैसे चल सकती है हिम्मत है तु...
6 टिप्‍पणियां:
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सुशील कुमार जोशी
Almora, Uttarakhand, India
ना कविता लिखता हूँ ना कोई छंद लिखता हूँ अपने आसपास पड़े हुऎ कुछ टाट पै पैबंद लिखता हूँ ना कवि हूँ ना लेखक हूँ ना अखबार हूँ ना ही कोई समाचार हूँ जो हो घट रहा होता है मेरे आस पास हर समय उस खबर की बक बक यहाँ पर देने को तैयार हूँ ।
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