उलूक टाइम्स

"बर्बाद गुलिस्ताँ करने को बस एक ही उल्लू काफ़ी था हर शाख़ पे उल्लू बैठा है अंजाम-ए-गुलिस्ताँ क्या होगा " :- शौक़ बहराइची

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गुरुवार, 19 दिसंबर 2013

उधर ना जाने की कसम खाने से क्या हो वो जब इधर को ही अब आने में लगे हैं

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जंगल के सियार तेंदुऐ जब से शहर की तरफ अपने पेट की भूख मिटाने के लिये भाग आने लगे हैं किसी बहुत दूर के शहर के शेर का मुखौटा लगा मेरे शहर के ...
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सुशील कुमार जोशी
Almora, Uttarakhand, India
ना कविता लिखता हूँ ना कोई छंद लिखता हूँ अपने आसपास पड़े हुऎ कुछ टाट पै पैबंद लिखता हूँ ना कवि हूँ ना लेखक हूँ ना अखबार हूँ ना ही कोई समाचार हूँ जो हो घट रहा होता है मेरे आस पास हर समय उस खबर की बक बक यहाँ पर देने को तैयार हूँ ।
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