उलूक टाइम्स

"बर्बाद गुलिस्ताँ करने को बस एक ही उल्लू काफ़ी था हर शाख़ पे उल्लू बैठा है अंजाम-ए-गुलिस्ताँ क्या होगा " :- शौक़ बहराइची

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रविवार, 13 दिसंबर 2020

चैन लिखना बेचैनी होते हुऐ किसलिये सोचना क्या रखी है और कहाँ रखी है

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सारे बेचैनो ने लिख दिये हैं चैन दरो दीवार छोड़िये सड़क मैदानों तक में  लिखे को पढ़िये पन्ने दर पन्ने किसलिये  ढूंढनी है  कलम  किस की है और कहाँ...
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मंगलवार, 14 फ़रवरी 2012

समय

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कोयल की तरह कूँकने वाली हिरन की मस्त चाल चलने वाली बहुत भाती थी मनमोहनी रोज सुबह गली को एक खुश्बू से महकाते हुवे गुजर जाती थी दिन बरस साल ग...
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सुशील कुमार जोशी
Almora, Uttarakhand, India
ना कविता लिखता हूँ ना कोई छंद लिखता हूँ अपने आसपास पड़े हुऎ कुछ टाट पै पैबंद लिखता हूँ ना कवि हूँ ना लेखक हूँ ना अखबार हूँ ना ही कोई समाचार हूँ जो हो घट रहा होता है मेरे आस पास हर समय उस खबर की बक बक यहाँ पर देने को तैयार हूँ ।
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