उलूक टाइम्स

"बर्बाद गुलिस्ताँ करने को बस एक ही उल्लू काफ़ी था हर शाख़ पे उल्लू बैठा है अंजाम-ए-गुलिस्ताँ क्या होगा " :- शौक़ बहराइची

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शुक्रवार, 16 नवंबर 2018

कुछ नहीं हो सकता है एक पक चुकी सोच का किसी कच्ची मिट्टी को लपेटिये जनाब

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फूल होकर डाल से उतरा पक पका गया एक फल हो चुकी है आज कैसे  फिर से वही बीज हो जाये  जिस से पैदा हुयी थी कभी जनाब कैसे बदलें अब इस पुरा...
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सुशील कुमार जोशी
Almora, Uttarakhand, India
ना कविता लिखता हूँ ना कोई छंद लिखता हूँ अपने आसपास पड़े हुऎ कुछ टाट पै पैबंद लिखता हूँ ना कवि हूँ ना लेखक हूँ ना अखबार हूँ ना ही कोई समाचार हूँ जो हो घट रहा होता है मेरे आस पास हर समय उस खबर की बक बक यहाँ पर देने को तैयार हूँ ।
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