उलूक टाइम्स

"बर्बाद गुलिस्ताँ करने को बस एक ही उल्लू काफ़ी था हर शाख़ पे उल्लू बैठा है अंजाम-ए-गुलिस्ताँ क्या होगा " :- शौक़ बहराइची

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शनिवार, 11 फ़रवरी 2017

बुखार कैसा भी हो निकलता ही है कुछ बाहर बुदबुदाने में

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बस चार दिन की है बची बैचेनी फिर बजा लेना बाँसुरी लगा कर आग रोम को पूरे सब कुछ बदल जायेगा जब बनेगी राख देख लेना मिचमिचाती सी अगर बन्द भी ह...
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मंगलवार, 16 सितंबर 2014

बात करने का सलीका बातें करते करते ही आ पाता है

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अपने मतलब की बातें करने के लिये ही हर कोई बात करने के लिये आता है नहीं भी करना चाहो अगर बात कोई अपनी तरफ से अपनी बात को घुमा फिरा कर उसी ...
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सुशील कुमार जोशी
Almora, Uttarakhand, India
ना कविता लिखता हूँ ना कोई छंद लिखता हूँ अपने आसपास पड़े हुऎ कुछ टाट पै पैबंद लिखता हूँ ना कवि हूँ ना लेखक हूँ ना अखबार हूँ ना ही कोई समाचार हूँ जो हो घट रहा होता है मेरे आस पास हर समय उस खबर की बक बक यहाँ पर देने को तैयार हूँ ।
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