उलूक टाइम्स

"बर्बाद गुलिस्ताँ करने को बस एक ही उल्लू काफ़ी था हर शाख़ पे उल्लू बैठा है अंजाम-ए-गुलिस्ताँ क्या होगा " :- शौक़ बहराइची

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रविवार, 20 नवंबर 2016

तालियाँ एक हाथ से बज रही होती हैं उसका शोर सब कुछ बोल रहा होता है

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तालियों के शोर के बीच बोलने की बेवकूफी करता है फिर ढूँढता भी है अपनी ही आवाज को कान तक बहुत कुछ पहुँच रहा होता है उसमें खुद का बोला गया क...
1 टिप्पणी:
रविवार, 8 सितंबर 2013

शब्द हमेशा सच नहीं बोल रहा होता है

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ऎसे ही बैठे बैठे कोई कुछ नहीं कह देता है ऎसे ही बिना सोचे कोई कुछ भी कहीं भी लिख नहीं देता है बांंधने पढ़ते हैं अंदर उबलते हुवे लावों से भर...
4 टिप्‍पणियां:
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सुशील कुमार जोशी
Almora, Uttarakhand, India
ना कविता लिखता हूँ ना कोई छंद लिखता हूँ अपने आसपास पड़े हुऎ कुछ टाट पै पैबंद लिखता हूँ ना कवि हूँ ना लेखक हूँ ना अखबार हूँ ना ही कोई समाचार हूँ जो हो घट रहा होता है मेरे आस पास हर समय उस खबर की बक बक यहाँ पर देने को तैयार हूँ ।
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