उलूक टाइम्स

"बर्बाद गुलिस्ताँ करने को बस एक ही उल्लू काफ़ी था हर शाख़ पे उल्लू बैठा है अंजाम-ए-गुलिस्ताँ क्या होगा " :- शौक़ बहराइची

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शनिवार, 25 अप्रैल 2015

जो खटकता है वही ला कर लिख पटकता है

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दिमागी तरंग  दिखाती है रंग बिना पिये भंग  जब भी कहीं कुछ खटकता है  झटका जोर का मगर धीरे से  कहीं किसी को लगता है  लिखा जाता है कुछ अपने हिस...
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शुक्रवार, 14 मार्च 2014

इस बार भी चढ़ जायेगा रंग कहाँ कुछ नहीं बतायेगा

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होली के रंगो के बीच भंग की तरँगो के बीच रंग में रंग मत मिला मान जा एक ही रंग में रह कोशिश कर तिरंगा रंगों का मत फहरा रंगो का भी होता है कक...
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सुशील कुमार जोशी
Almora, Uttarakhand, India
ना कविता लिखता हूँ ना कोई छंद लिखता हूँ अपने आसपास पड़े हुऎ कुछ टाट पै पैबंद लिखता हूँ ना कवि हूँ ना लेखक हूँ ना अखबार हूँ ना ही कोई समाचार हूँ जो हो घट रहा होता है मेरे आस पास हर समय उस खबर की बक बक यहाँ पर देने को तैयार हूँ ।
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