उलूक टाइम्स

"बर्बाद गुलिस्ताँ करने को बस एक ही उल्लू काफ़ी था हर शाख़ पे उल्लू बैठा है अंजाम-ए-गुलिस्ताँ क्या होगा " :- शौक़ बहराइची

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शुक्रवार, 18 जुलाई 2014

बहुत समय है फालतू का उसे ही ठिकाने लगा रहे हैं

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भाई जी क्या बात है आजकल दिखाई भी नहीं देते हो हम तो रोज उसी रास्ते पर चल रहे हैं उसी तरह से सदियों से आप क्यों अपने रोज ही रास्ते बदल देत...
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रविवार, 1 सितंबर 2013

गजब के भाई जी के गजब के खेल !

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भाई जी बहुत अच्छे खिलाड़ियों में गिने जाते हैं क्या खेलते हैं कभी किसी को नहीं बताते हैं कारनामें उनके अखबार में बहुत बार आते हैं हरफन मौल...
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सुशील कुमार जोशी
Almora, Uttarakhand, India
ना कविता लिखता हूँ ना कोई छंद लिखता हूँ अपने आसपास पड़े हुऎ कुछ टाट पै पैबंद लिखता हूँ ना कवि हूँ ना लेखक हूँ ना अखबार हूँ ना ही कोई समाचार हूँ जो हो घट रहा होता है मेरे आस पास हर समय उस खबर की बक बक यहाँ पर देने को तैयार हूँ ।
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