उलूक टाइम्स

"बर्बाद गुलिस्ताँ करने को बस एक ही उल्लू काफ़ी था हर शाख़ पे उल्लू बैठा है अंजाम-ए-गुलिस्ताँ क्या होगा " :- शौक़ बहराइची

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मंगलवार, 2 दिसंबर 2014

जय हो आप की मालिक

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  ओये क्या है? कोई मजमा है क्या ? नहीं है तो बता है तो वही बता कुछ कह तो सही मत कह क्या फर्क पड़ना है ये सरकस उसके लिये नहीं है जो बंदर है उस...
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गुरुवार, 20 फ़रवरी 2014

नहीं सोचना है सोच कर भी सोचा जाता है बंदर, जब उस्तरा उसके ही हाथ में देखा जाता है

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योग्यता के मानक एक योग्य व्यक्ति ही समझ पाता है समझ में बस ये नहीं आता है “उलूक” ही क्यों कर ऐसी ही समस्याओं पर अपना खाली दिमाग लगाता है कि...
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सुशील कुमार जोशी
Almora, Uttarakhand, India
ना कविता लिखता हूँ ना कोई छंद लिखता हूँ अपने आसपास पड़े हुऎ कुछ टाट पै पैबंद लिखता हूँ ना कवि हूँ ना लेखक हूँ ना अखबार हूँ ना ही कोई समाचार हूँ जो हो घट रहा होता है मेरे आस पास हर समय उस खबर की बक बक यहाँ पर देने को तैयार हूँ ।
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