उलूक टाइम्स

"बर्बाद गुलिस्ताँ करने को बस एक ही उल्लू काफ़ी था हर शाख़ पे उल्लू बैठा है अंजाम-ए-गुलिस्ताँ क्या होगा " :- शौक़ बहराइची

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सोमवार, 2 अप्रैल 2018

एक भीड़ से निकल कर खिसक कर दूसरी भीड़ में चला जाता है एक नयी भीड़ बनाता है दंगे तो सारे ऊपर वाला ही करवाता है

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एक भीड़ से दूसरी भीड़ दूसरी भीड़ से तीसरी भीड़ भीड़ से भीड़ में खिसकता चलता है मतलब को जेब में रुमाल की तरह डाल कर जो वो हर भीड़ में जरूर दिखाई ...
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सुशील कुमार जोशी
Almora, Uttarakhand, India
ना कविता लिखता हूँ ना कोई छंद लिखता हूँ अपने आसपास पड़े हुऎ कुछ टाट पै पैबंद लिखता हूँ ना कवि हूँ ना लेखक हूँ ना अखबार हूँ ना ही कोई समाचार हूँ जो हो घट रहा होता है मेरे आस पास हर समय उस खबर की बक बक यहाँ पर देने को तैयार हूँ ।
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