उलूक टाइम्स

"बर्बाद गुलिस्ताँ करने को बस एक ही उल्लू काफ़ी था हर शाख़ पे उल्लू बैठा है अंजाम-ए-गुलिस्ताँ क्या होगा " :- शौक़ बहराइची

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शनिवार, 15 अगस्त 2015

आजादी जिंदा और गुलामी मरी हुई बात कुछ समझ में आई ?

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सूरज डूब गया बहुत अच्छी तरह आज का दिन भी पिछले उन्हत्तर सालों की तरह बीतना था बीत गया स्वतंत्रों की स्वतंत्रता हर जगह नजर आई बेचारी गुलाम...
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बुधवार, 8 जनवरी 2014

समझ में कहाँ आता है जब मरने मरने में फर्क हो जाता है

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एक आदमी के मरने की खबर और एक औरत के मरने की खबर अलग अलग खबरें क्यों और कैसे हो जाती होंगी मौत तो बस मौत होती है कभी भी अच्छी कहाँ होती है च...
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सुशील कुमार जोशी
Almora, Uttarakhand, India
ना कविता लिखता हूँ ना कोई छंद लिखता हूँ अपने आसपास पड़े हुऎ कुछ टाट पै पैबंद लिखता हूँ ना कवि हूँ ना लेखक हूँ ना अखबार हूँ ना ही कोई समाचार हूँ जो हो घट रहा होता है मेरे आस पास हर समय उस खबर की बक बक यहाँ पर देने को तैयार हूँ ।
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