उलूक टाइम्स

"बर्बाद गुलिस्ताँ करने को बस एक ही उल्लू काफ़ी था हर शाख़ पे उल्लू बैठा है अंजाम-ए-गुलिस्ताँ क्या होगा " :- शौक़ बहराइची

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सोमवार, 12 मई 2014

सियार ने खड़े किये हुऐ हैं कान होशियारी जरूर दिखायेगा

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आज हो ही गया लग पड़ कर पूरा बहुत दिन से लग रहा था कहीं है कुछ तो अधूरा अधूरा कल से दो चार दिन के लिये कोई कहीं नहीं जायेगा उसके बाद कौन कहाँ...
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गुरुवार, 8 मई 2014

इतने में ही क्यों पगला रहा है जमूरे हिम्मत कर वो आ रहा है जमूरे

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अरे जमूरे सुन हुकुम मालिक आ गया बजा के ड्यूटी बजा ली मालिक कहाँ बजाई बहुत बड़े मालिक की बजाई मालिक नहीं बजाता तो मेरी बजा देता मालिक...
18 टिप्‍पणियां:
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सुशील कुमार जोशी
Almora, Uttarakhand, India
ना कविता लिखता हूँ ना कोई छंद लिखता हूँ अपने आसपास पड़े हुऎ कुछ टाट पै पैबंद लिखता हूँ ना कवि हूँ ना लेखक हूँ ना अखबार हूँ ना ही कोई समाचार हूँ जो हो घट रहा होता है मेरे आस पास हर समय उस खबर की बक बक यहाँ पर देने को तैयार हूँ ।
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