उलूक टाइम्स

"बर्बाद गुलिस्ताँ करने को बस एक ही उल्लू काफ़ी था हर शाख़ पे उल्लू बैठा है अंजाम-ए-गुलिस्ताँ क्या होगा " :- शौक़ बहराइची

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रविवार, 8 मार्च 2015

महिला के लिये कुछ करना नहीं है उसका दिन ही बस एक मना लेते

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दिन डूबते चाय की तलब लगी और आदतन मुँह से निकल बैठा आज चाय नहीं बनेगी क्या उत्तर मिला आज महिला दिवस है आज तुम ही क्यों नहीं बना दे...
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सुशील कुमार जोशी
Almora, Uttarakhand, India
ना कविता लिखता हूँ ना कोई छंद लिखता हूँ अपने आसपास पड़े हुऎ कुछ टाट पै पैबंद लिखता हूँ ना कवि हूँ ना लेखक हूँ ना अखबार हूँ ना ही कोई समाचार हूँ जो हो घट रहा होता है मेरे आस पास हर समय उस खबर की बक बक यहाँ पर देने को तैयार हूँ ।
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