उलूक टाइम्स

"बर्बाद गुलिस्ताँ करने को बस एक ही उल्लू काफ़ी था हर शाख़ पे उल्लू बैठा है अंजाम-ए-गुलिस्ताँ क्या होगा " :- शौक़ बहराइची

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मंगलवार, 23 जनवरी 2018

लावबाली होते हैं वबाल होते हैं कुछ सवाल बस सवाल होते हैं

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एक वबाल है कुछ पूछने वाला आज इनकी उनकी सबकी नजरों में इनकी नजर है कि एक सवाल है हमेशा इसकी उसकी सबकी नजरों में नजर उठती नहीं है वबाल होती...
1 टिप्पणी:
सोमवार, 19 अगस्त 2013

मछली एक भी जिंदा रहेगी तालाब की मुसीबत ही बनेगी !

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तुझे बहुत दिनो से कुछ हो रहा है  ऎसा कुछ मुझे महसूस हो रहा है  बहुत सी बातेंं लोग आपस में कर रहे हैं  तेरे सामने कहने से लगता है डर रहे हैं ...
12 टिप्‍पणियां:
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सुशील कुमार जोशी
Almora, Uttarakhand, India
ना कविता लिखता हूँ ना कोई छंद लिखता हूँ अपने आसपास पड़े हुऎ कुछ टाट पै पैबंद लिखता हूँ ना कवि हूँ ना लेखक हूँ ना अखबार हूँ ना ही कोई समाचार हूँ जो हो घट रहा होता है मेरे आस पास हर समय उस खबर की बक बक यहाँ पर देने को तैयार हूँ ।
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