उलूक टाइम्स

"बर्बाद गुलिस्ताँ करने को बस एक ही उल्लू काफ़ी था हर शाख़ पे उल्लू बैठा है अंजाम-ए-गुलिस्ताँ क्या होगा " :- शौक़ बहराइची

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बुधवार, 2 जुलाई 2014

श्रद्धांजलि मौन होती है जाने वाला सुकून से चल देता है (सुशील, रायपुर, के निधन पर)

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मृत्यू तो रोज  ही होती है रोज मरता है एक आदमी कहीं अंदर से या बाहर से आभास होता है परवाह नहीं करता है सूखी हुई आँखों से कुछ टपकता भी है ना...
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गुरुवार, 9 फ़रवरी 2012

"चेस्टर" सितम्बर 2008- 08-02-2012

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निर्मोही आँखिर तुम भी हो गये एक चित्र हमें मोह में उलझा के हौले से चल दिये मित्र बहुत कुछ दे गये एक इतने छोटे से काल में मौन से स्पर्श से ...
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सुशील कुमार जोशी
Almora, Uttarakhand, India
ना कविता लिखता हूँ ना कोई छंद लिखता हूँ अपने आसपास पड़े हुऎ कुछ टाट पै पैबंद लिखता हूँ ना कवि हूँ ना लेखक हूँ ना अखबार हूँ ना ही कोई समाचार हूँ जो हो घट रहा होता है मेरे आस पास हर समय उस खबर की बक बक यहाँ पर देने को तैयार हूँ ।
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