उलूक टाइम्स

"बर्बाद गुलिस्ताँ करने को बस एक ही उल्लू काफ़ी था हर शाख़ पे उल्लू बैठा है अंजाम-ए-गुलिस्ताँ क्या होगा " :- शौक़ बहराइची

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शनिवार, 21 दिसंबर 2019

जरूरी है जिंदा ना रहे बौद्धिकता

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क्या परेशानी है किसी को अगर कोई अपने हिसाब का सवेरा अपने समय के हिसाब से करवाने का दुस्साहस करता है उनींदे सूरज को गिरेबान खींच ला कर ...
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शनिवार, 20 सितंबर 2014

खाना पीना और सोना ही बस जरूरी होता है

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रजिस्टर में जैसे करने हों उपस्थिति के हस्ताक्षर और डालना हो समय और दिँनाक भी लिखने का मतलब बस इतना ही नहीं होता है हाँ कभी कभी अवकाश सरका...
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सुशील कुमार जोशी
Almora, Uttarakhand, India
ना कविता लिखता हूँ ना कोई छंद लिखता हूँ अपने आसपास पड़े हुऎ कुछ टाट पै पैबंद लिखता हूँ ना कवि हूँ ना लेखक हूँ ना अखबार हूँ ना ही कोई समाचार हूँ जो हो घट रहा होता है मेरे आस पास हर समय उस खबर की बक बक यहाँ पर देने को तैयार हूँ ।
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