उलूक टाइम्स

"बर्बाद गुलिस्ताँ करने को बस एक ही उल्लू काफ़ी था हर शाख़ पे उल्लू बैठा है अंजाम-ए-गुलिस्ताँ क्या होगा " :- शौक़ बहराइची

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शनिवार, 26 सितंबर 2020

चिट्ठों के बीच बारह साल/ नवें महीने की चालीसवीं बकवास/ जरा बच के/ नजूल है/

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  याद करने की कोशिश  है   फजूल है  क्या लिखा कितना लिखा लिखा लिखाया सारा सब है बस है ऊल जलूल है  कवियों कथाकारों के बीच घुस घुसा कर करतब दिख...
19 टिप्‍पणियां:
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सुशील कुमार जोशी
Almora, Uttarakhand, India
ना कविता लिखता हूँ ना कोई छंद लिखता हूँ अपने आसपास पड़े हुऎ कुछ टाट पै पैबंद लिखता हूँ ना कवि हूँ ना लेखक हूँ ना अखबार हूँ ना ही कोई समाचार हूँ जो हो घट रहा होता है मेरे आस पास हर समय उस खबर की बक बक यहाँ पर देने को तैयार हूँ ।
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