उलूक टाइम्स

"बर्बाद गुलिस्ताँ करने को बस एक ही उल्लू काफ़ी था हर शाख़ पे उल्लू बैठा है अंजाम-ए-गुलिस्ताँ क्या होगा " :- शौक़ बहराइची

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शनिवार, 4 फ़रवरी 2023

कुछ रूह होती हैं कुछ रूह भूत होती हैं

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कुछ रूह होती हैं सहला देती हैं रूह को बस यूँ ही कुछ बदल देती हैं समां यूँ ही आस पास का लगता है कहीं होती हैं गोश्त और गोश्त में कहां कोई फर्...
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सोमवार, 17 नवंबर 2014

जरूरी है याद कर लेना कभी कभी रहीम तुलसी या कबीर को भी

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बहुत सारी तालियाँ बजती हैं हमेशा ही अच्छे पर अच्छा बोलने के लिये इधर भी और उधर भी  नीचे नजर आ जाती हैं दिखती हैं दूरदर्शन में सुनाई देती...
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सुशील कुमार जोशी
Almora, Uttarakhand, India
ना कविता लिखता हूँ ना कोई छंद लिखता हूँ अपने आसपास पड़े हुऎ कुछ टाट पै पैबंद लिखता हूँ ना कवि हूँ ना लेखक हूँ ना अखबार हूँ ना ही कोई समाचार हूँ जो हो घट रहा होता है मेरे आस पास हर समय उस खबर की बक बक यहाँ पर देने को तैयार हूँ ।
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