उलूक टाइम्स

"बर्बाद गुलिस्ताँ करने को बस एक ही उल्लू काफ़ी था हर शाख़ पे उल्लू बैठा है अंजाम-ए-गुलिस्ताँ क्या होगा " :- शौक़ बहराइची

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गुरुवार, 9 अक्टूबर 2014

क्या किया जाये ऐसे में अगर कोई कहीं और भी मिल जाये

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रिश्ते शब्दों के शब्दों से भी हुआ करते हैं जरूरी नहीं सारे रिश्तेदार एक ही पन्ने में कहीं एक साथ मिल बैठ कर आपस में बातें करते हुऐ नजर आ ...
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गुरुवार, 17 जुलाई 2014

सभी के होते हैं रिश्ते सभी बनाना चाहते हैं

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कंकड़ पत्थर की ढेरी के एक कंकड़ जैसे हो जाते हैं रिश्ते साथ रहते हुऐ भी अलग हो जाते हैं जब इच्छा होती है इस ढेरी से उस ढेरी में डाल दिये ज...
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सुशील कुमार जोशी
Almora, Uttarakhand, India
ना कविता लिखता हूँ ना कोई छंद लिखता हूँ अपने आसपास पड़े हुऎ कुछ टाट पै पैबंद लिखता हूँ ना कवि हूँ ना लेखक हूँ ना अखबार हूँ ना ही कोई समाचार हूँ जो हो घट रहा होता है मेरे आस पास हर समय उस खबर की बक बक यहाँ पर देने को तैयार हूँ ।
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