उलूक टाइम्स

"बर्बाद गुलिस्ताँ करने को बस एक ही उल्लू काफ़ी था हर शाख़ पे उल्लू बैठा है अंजाम-ए-गुलिस्ताँ क्या होगा " :- शौक़ बहराइची

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शुक्रवार, 1 जुलाई 2016

होता है उलूक भी खबर लिये कई दिनों तक जब यूँ ही नदारत हो रहा होता है

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होता है सभी के साथ होता है कोई गा देता है कोई रो देता है कोई खुद के खो गये होने के आभास जैसा मुँह बनाये लटकाये शहर की किसी अंधेरी गली क...
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रविवार, 20 अक्टूबर 2013

एक की हो रही पहचान है एक पी रहा कड़वा जाम है !

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अगला आदमी भी कितना परेशान है अपनी एक पहचान बनाने की कोशिश में हो रहा हलकान है बगल वाला है तो उसका ही जैसा कुछ भी नहीं है थोड़ा सा भी कहीं क...
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सुशील कुमार जोशी
Almora, Uttarakhand, India
ना कविता लिखता हूँ ना कोई छंद लिखता हूँ अपने आसपास पड़े हुऎ कुछ टाट पै पैबंद लिखता हूँ ना कवि हूँ ना लेखक हूँ ना अखबार हूँ ना ही कोई समाचार हूँ जो हो घट रहा होता है मेरे आस पास हर समय उस खबर की बक बक यहाँ पर देने को तैयार हूँ ।
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