उलूक टाइम्स

"बर्बाद गुलिस्ताँ करने को बस एक ही उल्लू काफ़ी था हर शाख़ पे उल्लू बैठा है अंजाम-ए-गुलिस्ताँ क्या होगा " :- शौक़ बहराइची

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शुक्रवार, 30 अगस्त 2013

लंगड़ी लगती है तभी तो सीखी भी जाती है

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जुम्मा जुम्मा  आ  कर अभी  तो पाँव  कुछ  जमाई हैंं कुछ बातें समझनी  बहुत जरूरी होती हैं  पता नहीं क्यों नहीं समझ पाई हैंं पढ़ी लिखी हैंं और  ...
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सुशील कुमार जोशी
Almora, Uttarakhand, India
ना कविता लिखता हूँ ना कोई छंद लिखता हूँ अपने आसपास पड़े हुऎ कुछ टाट पै पैबंद लिखता हूँ ना कवि हूँ ना लेखक हूँ ना अखबार हूँ ना ही कोई समाचार हूँ जो हो घट रहा होता है मेरे आस पास हर समय उस खबर की बक बक यहाँ पर देने को तैयार हूँ ।
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