उलूक टाइम्स

"बर्बाद गुलिस्ताँ करने को बस एक ही उल्लू काफ़ी था हर शाख़ पे उल्लू बैठा है अंजाम-ए-गुलिस्ताँ क्या होगा " :- शौक़ बहराइची

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शनिवार, 2 मई 2020

सोच कर लिखा नहीं जाता है और बिना सोचे लिखा गया लिखा नहीं होता है साहित्य के बीच में बकवास लिख कर घुसने का भी कोई कायदा होता है

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सालों  गुजर गये  सोचते हुऐ  लिखने की  कुछ कुछ ऐसा  जिसका  कुछ  मतलब निकले  लिखना  आने से  मतलब  निकलन...
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सुशील कुमार जोशी
Almora, Uttarakhand, India
ना कविता लिखता हूँ ना कोई छंद लिखता हूँ अपने आसपास पड़े हुऎ कुछ टाट पै पैबंद लिखता हूँ ना कवि हूँ ना लेखक हूँ ना अखबार हूँ ना ही कोई समाचार हूँ जो हो घट रहा होता है मेरे आस पास हर समय उस खबर की बक बक यहाँ पर देने को तैयार हूँ ।
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