उलूक टाइम्स

"बर्बाद गुलिस्ताँ करने को बस एक ही उल्लू काफ़ी था हर शाख़ पे उल्लू बैठा है अंजाम-ए-गुलिस्ताँ क्या होगा " :- शौक़ बहराइची

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शनिवार, 1 जून 2019

बकवास अपनी कह कह कर किसी और को कुछ कहने नहीं देते हैं

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बहुत कुछ है  लिखने के लिये  बिखरा हुआ  समेटना  ठीक नहीं  इस समय रहने देते हैं होना  कुछ नहीं है  हिसाब का  बेतरतीब  ला कर ...
21 टिप्‍पणियां:
सोमवार, 12 अक्टूबर 2015

शिव की बूटी के उत्थान का समय भी आ रहा है

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तब सही समझे थे या अब सही समझ रहे हैं बस इतना सा समझ में नहीं आ पा रहा है जो है सो है मजा तो आ रहा है बहुत दिनो के बाद कुछ कुछ लगा जैसे ...
4 टिप्‍पणियां:
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सुशील कुमार जोशी
Almora, Uttarakhand, India
ना कविता लिखता हूँ ना कोई छंद लिखता हूँ अपने आसपास पड़े हुऎ कुछ टाट पै पैबंद लिखता हूँ ना कवि हूँ ना लेखक हूँ ना अखबार हूँ ना ही कोई समाचार हूँ जो हो घट रहा होता है मेरे आस पास हर समय उस खबर की बक बक यहाँ पर देने को तैयार हूँ ।
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