उलूक टाइम्स

"बर्बाद गुलिस्ताँ करने को बस एक ही उल्लू काफ़ी था हर शाख़ पे उल्लू बैठा है अंजाम-ए-गुलिस्ताँ क्या होगा " :- शौक़ बहराइची

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बुधवार, 1 जनवरी 2014

किसी के यहाँ होना शुरु हो गया है क्या कुछ नया यहाँ तो आज भी अंधेरा हो रहा था

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हर साल की तरह पिछले साल के अंतिम दिन वैसा ही कुछ महसूस हुआ जैसा पिछले के पिछले और उससे कई पिछले सालों में था लगा कुछ ऐसा जैसे साल बीतते ही ...
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सुशील कुमार जोशी
Almora, Uttarakhand, India
ना कविता लिखता हूँ ना कोई छंद लिखता हूँ अपने आसपास पड़े हुऎ कुछ टाट पै पैबंद लिखता हूँ ना कवि हूँ ना लेखक हूँ ना अखबार हूँ ना ही कोई समाचार हूँ जो हो घट रहा होता है मेरे आस पास हर समय उस खबर की बक बक यहाँ पर देने को तैयार हूँ ।
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