उलूक टाइम्स

"बर्बाद गुलिस्ताँ करने को बस एक ही उल्लू काफ़ी था हर शाख़ पे उल्लू बैठा है अंजाम-ए-गुलिस्ताँ क्या होगा " :- शौक़ बहराइची

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बुधवार, 21 अक्टूबर 2015

शव का इंतजार नहीं शमशान का खुला रहना जरूरी होता है

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हाँ भाई हाँ होने होने की बात होती है कभी पहले सुबह और उसके बाद रात होती है कभी रात पहले और सुबह उसके बाद होती है फर्क किसी को नहीं पड़ता ह...
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सोमवार, 21 सितंबर 2015

दुकान के अंदर एक और दुकान को खोला जाये

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जब दुकान खोल ही ली जाये  तो फिर क्यों देखा जाये इधर उधर  बस बेचने की सोची जाये  दुकान का बिक जाये तो बहुत ही अच्छा  नहीं बिके अपना माल किसी...
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सुशील कुमार जोशी
Almora, Uttarakhand, India
ना कविता लिखता हूँ ना कोई छंद लिखता हूँ अपने आसपास पड़े हुऎ कुछ टाट पै पैबंद लिखता हूँ ना कवि हूँ ना लेखक हूँ ना अखबार हूँ ना ही कोई समाचार हूँ जो हो घट रहा होता है मेरे आस पास हर समय उस खबर की बक बक यहाँ पर देने को तैयार हूँ ।
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