उलूक टाइम्स

"बर्बाद गुलिस्ताँ करने को बस एक ही उल्लू काफ़ी था हर शाख़ पे उल्लू बैठा है अंजाम-ए-गुलिस्ताँ क्या होगा " :- शौक़ बहराइची

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शनिवार, 28 सितंबर 2013

कल तक चाँद हो रहा था रात ही रात में दाग हो गया

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सुबह के अखबार से सबको पता हो गया बच्चा बापू से बहुत नाराज हो गया उसके जवान हो जाने का जैसे कहीं कोई ऐलान हो गया घर के अंदर लग रहा था कल ही ...
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शनिवार, 24 दिसंबर 2011

शब्द

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शब्द मीठे होते हैं कानों से होते हुवे दिल में उतरते है शहद घोल घोल के शब्द ही खंजर से तीखे भी हो जाते हैं ले आते हैं ज्वार और भाटे सभी के प...
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सुशील कुमार जोशी
Almora, Uttarakhand, India
ना कविता लिखता हूँ ना कोई छंद लिखता हूँ अपने आसपास पड़े हुऎ कुछ टाट पै पैबंद लिखता हूँ ना कवि हूँ ना लेखक हूँ ना अखबार हूँ ना ही कोई समाचार हूँ जो हो घट रहा होता है मेरे आस पास हर समय उस खबर की बक बक यहाँ पर देने को तैयार हूँ ।
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