उलूक टाइम्स

"बर्बाद गुलिस्ताँ करने को बस एक ही उल्लू काफ़ी था हर शाख़ पे उल्लू बैठा है अंजाम-ए-गुलिस्ताँ क्या होगा " :- शौक़ बहराइची

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गुरुवार, 22 जनवरी 2015

खुले खेतों में शौच विज्ञापनों की सोच दूरदर्शन रेडियो और समाचार दोनो जगह दोनो की भरमार अपनी अपनी समझ अपने अपने व्यापार

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रेल की पटरी पर दौड़ती हुई एक रेलगाड़ी एक दिशा में और दूर जाते उल्टी  दिशा में भागते हुऐ पेड़ पौँधें मैदान खेत पहाड़ सब कुछ और बहुत कुछ अपना...
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सुशील कुमार जोशी
Almora, Uttarakhand, India
ना कविता लिखता हूँ ना कोई छंद लिखता हूँ अपने आसपास पड़े हुऎ कुछ टाट पै पैबंद लिखता हूँ ना कवि हूँ ना लेखक हूँ ना अखबार हूँ ना ही कोई समाचार हूँ जो हो घट रहा होता है मेरे आस पास हर समय उस खबर की बक बक यहाँ पर देने को तैयार हूँ ।
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