उलूक टाइम्स

"बर्बाद गुलिस्ताँ करने को बस एक ही उल्लू काफ़ी था हर शाख़ पे उल्लू बैठा है अंजाम-ए-गुलिस्ताँ क्या होगा " :- शौक़ बहराइची

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बुधवार, 15 अक्टूबर 2014

'मोतिया’ तू जा चुका था देर से पता चला था कल नहीं लिख सका था आज लिख रहा हूँ क्योंकि तुझ पर लिखना तो बहुत ही जरूरी है

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ख्वाब देखने में कोई हर्ज भी नहीं है  ना ही ख्वाब अपना किसी को बताने में  कोई लिहाज है  बहुत पुराना है  आज तेरे जाने के बाद चूँकि  आ रहा कुछ...
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सुशील कुमार जोशी
Almora, Uttarakhand, India
ना कविता लिखता हूँ ना कोई छंद लिखता हूँ अपने आसपास पड़े हुऎ कुछ टाट पै पैबंद लिखता हूँ ना कवि हूँ ना लेखक हूँ ना अखबार हूँ ना ही कोई समाचार हूँ जो हो घट रहा होता है मेरे आस पास हर समय उस खबर की बक बक यहाँ पर देने को तैयार हूँ ।
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