उलूक टाइम्स

"बर्बाद गुलिस्ताँ करने को बस एक ही उल्लू काफ़ी था हर शाख़ पे उल्लू बैठा है अंजाम-ए-गुलिस्ताँ क्या होगा " :- शौक़ बहराइची

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शुक्रवार, 28 मार्च 2014

जब तक सोच में कुछ आये इधर उधर हो जाता है

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अपने सपने का सनीमा बना कर बाजार में खुले आम पोस्टर लगा देने वाले के बस में नहीं होती हैं उँचाईयाँ   टूटी हुई सीढ़ियों से गुजरना और नीचे दे...
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शनिवार, 15 मार्च 2014

होली को होना होता है बस एक दिन का सनीमा होता है

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मित्रों के लिये कम दुश्मनों से गले मिलने के लिये कुछ ज्यादा होनी होती है होली कई  कई सालों के गिले शिकवे दूर करने की एक मीठी सी गोली होती ...
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सुशील कुमार जोशी
Almora, Uttarakhand, India
ना कविता लिखता हूँ ना कोई छंद लिखता हूँ अपने आसपास पड़े हुऎ कुछ टाट पै पैबंद लिखता हूँ ना कवि हूँ ना लेखक हूँ ना अखबार हूँ ना ही कोई समाचार हूँ जो हो घट रहा होता है मेरे आस पास हर समय उस खबर की बक बक यहाँ पर देने को तैयार हूँ ।
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