उलूक टाइम्स

"बर्बाद गुलिस्ताँ करने को बस एक ही उल्लू काफ़ी था हर शाख़ पे उल्लू बैठा है अंजाम-ए-गुलिस्ताँ क्या होगा " :- शौक़ बहराइची

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शुक्रवार, 6 दिसंबर 2013

करे तो सही कोई समझौता वो करना सिखाना चाहता है

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जानवर को पालतू हो जाने में कोई परेशानी नहीं होती है काबू में आसानी से आ जाता है कोशिश करता है सामंजस्य बैठाने की हर अवस्था में अगर बांध दिय...
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सोमवार, 2 सितंबर 2013

कभी कुछ अच्छा सुनाई दे तो अच्छा कहा जाये

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सुन  कब तक शरम का लबादा ओढे़ तू रहेगा बाप दादा के जमाने की सोच कब जाकर के तू कहीं छोडे़गा हमाम में भी कपडे़ पहन कर चला आता है तरस आता है तेर...
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सुशील कुमार जोशी
Almora, Uttarakhand, India
ना कविता लिखता हूँ ना कोई छंद लिखता हूँ अपने आसपास पड़े हुऎ कुछ टाट पै पैबंद लिखता हूँ ना कवि हूँ ना लेखक हूँ ना अखबार हूँ ना ही कोई समाचार हूँ जो हो घट रहा होता है मेरे आस पास हर समय उस खबर की बक बक यहाँ पर देने को तैयार हूँ ।
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